पेट है ख़ाली लोगों का, भगवान की बातें करता
बेघर इंसाँ से तू रौशनदान की बातें करता है // १
रूखी रूखी खाल है जिनकी, आँख धँसी है गड्ढों में
उनसे जाकर तू किनके सम्मान की बातें करता है // २
मुश्किल है दो जून की रोटी का भी मिलना लोगों को
ऐसे में इक पागल ही अरमान की बातें करता है // ३
तुझको ऊपरवाले ने क्या क्या ना बख़्शा लेकिन तू
मदद ज़रा सी कर के भी अहसान की बातें करता है //४
लहरों से लड़ने वाले को ख़ौफ़ नहीं है कुछ भी, पर
साहिल पे महफ़ूज़ है जो तूफ़ान की बातें करता है // ५
लोग बँटे हैं फ़िरक़ों में यूँ भूल के क़ौमी मिल्लत को
कोई पठानों की कोई चौहान की बातें करता है // ६
राज़ रखे रिश्ता क्या ऐसे पागल बनिये से कोई
नींद में भी जो बीवी से दूकान की बातें करता है // ७
राज़ नवादवी ®
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